बुरे आदमी बुराई के सक्रिय सजीव प्रचारक होते हैं । वे अपने आचरणों द्वारा बुराईयों की शिक्षा लोगों को देते हैं । उनकी कथनी और करनी एक होती है। जहाँ भी ऐसा सामंजस्य होगा उसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा । कुछ लोग धर्म-प्रचार का कार्य करते हैं पर वह सब कहने भर की बातें होती हैं । इन प्रचारकों की कथनी और करनी में अन्तर रहता है । यह अन्तर जहाँ भी रहेगा वहाँ प्रभाव क्षणिक ही रहेगा । सच्चे धर्म प्रचारक जिनकी कथनी और करनी एक रही है अपने अगणित अनुयायी बनाने में समर्थ हुए हैं । बुद्ध, गाँधी, तिलक, कबीर, नानक आदि की कथनी और करनी एक थी, वे अपने आदर्शों के प्रति सच्चे थे, इसलिए अगणित व्यक्ति उनका अनुकरण करने वाले, उनके आदर्शों पर बड़े से बड़ा त्याग करने वाले, प्रस्तुत हो गये थे ।
आज अच्छाइयों एवं आदर्शों के सच्चे एवं सजीव प्रचारक नहीं हैं और बुराइयों के सजीव आस्थावान प्रचारक हर जगह मौजूद हैं, वे बुरे काम करते हैं, बुराइयाँ सिखाते हैं, पर ऐसे धर्म प्रचारक कहाँ हैं जो अपने आचरणों से दूसरों को शिक्षा और प्रेरणा प्रदान करें । जहाँ थोड़े बहुत सच्चे लोग हैं वहाँ प्रभाव भी पड़ रहा है । हजारों मील से आकर विदेशी ईसाई मिशनरी भारत में ईसाई धर्म का प्रचार पूरी आस्था और लगन के साथ कर रहें हैं फलस्वरूप गत वर्षों में ही लाखों की संख्या में लोगों ने हिन्दु धर्म का परित्याग कर ईसाई धर्म की दीक्षा ली ।